Manzar Ansari

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बेख़ौफ़ सा हो गया हूॅं मैं

# दैनिक प्रतियोगिता हेतु 

बेखौफ सा हो गया हु मैं..
मासूम बच्चे की तरह हर और सा हो गया हु मैं.

भटकता रहता हु, हवा सें टूटे हुए पत्ते की तरह.
बिना डोर की पतंग सा हो गया हु मैं.

लगता नहीं दिल दुनिया मे कही भी.
आवारा भोर सा हो गया हु मैं..

महफिले अब अच्छी नहीं लगती.
मदहोश सा हो गया हु मैं..



manzar ansari

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3 Comments

Haaya meer

25-Nov-2022 07:33 PM

Amazing

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Gunjan Kamal

25-Nov-2022 01:22 PM

बहुत खूब

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Abhinav ji

25-Nov-2022 09:22 AM

Very nice👍

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